दोस्तों हम आज इस कहानी के माध्यम से जानेंगे की लालच का फल हमें मिलता ही मिलता है चाहे हमने अपने जीवन में लालच थोड़ी की हो तो भी फल लालच का मिलता हैं।या लालच बड़ी की लालच का फल हमें जरूर मिलेगा ।
यदि आपको हमारी यह कहानी अच्छी लगी तो आप इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम व्हाट्सएप आदि पर शेयर कर सकते हैं धन्यवाद।
लालच का फल - फल लालच का हिंदी में कहानी
### Motivation In Hindi-MotivationInHindi-motivationinhindi10 ###
लालच का फल कहानी हिंदी में
प्राचीन समय में एक नगर में एक व्यापारी रहता था। उसका नाम धनीलाल था। धनीलाल के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी । फिर भी वह सदैव उदास रहता था । धनीलाल हमेशा सोचता था की यदि मैं सारे संसार का धन अपने पास इकट्ठा कर लू तो मैं कितना खुशी व वैभवशाली बन जाऊंगा। धनीलाल सदैव ऐसी ही लालच भरी बातें सोचता रहता था और लालच के फल के बारे में खोजता रहता था। एक दिन धनीलाल की नगर में एक ऋषि आए । जब धनीलाल को पता चला तो वह दौड़ता हुआ ऋषि के पास आया और बोला, है ऋषि मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे कि मैं सारे संसार का धन इकट्ठा कर सकूं।
ये पोस्ट भी पढें:-
लालच का फल - फल लालच का हिंदी में कहानी
ऋषि ने कहा, यदि तुम भगवान नारायण की तपस्या करोगी तो हो सकता है वह तुम्हें सारे संसार का धन दे दे। फिर क्या था धनीलाल अगले ही दिन जंगल की तरफ निकल पड़ा और जंगल में जाकर कुशा का आसन पर बैठकर भगवान नारायण की तपस्या करने लगा। धनीराम को तपस्या करते- करते कई वर्ष बीत गए।
- किसान सम्मान निधि योजना में अपना नाम कैसे चेक करें वीडियो देखें:-Click
लालच का फल - फल लालच का हिंदी में कहानी
जब एक दिन भगवान नारायण प्रसन्न हुई तो उन्होंने कहा की, धनीलाल आंखें खोलो, धनी लाल ने आंखें खुली तो भगवान नारायण को अपने सामने देख बहुत खुश हुआ। तब नारायण ने कहा , धनीलाल मांगो क्या चाहते हो । धनी लाल ने कहा कि हे भगवान मुझे ऐसा वरदान दे कि मैं सारे संसार का धन अपने पास इकट्ठा कर सकूं और उस धन का स्वामी बन सकूं ।तब भगवान नारायण ने कहा, की धनी लाल ए वरदान तो असंभव है क्योंकि मैं तुम्हें यदि सारे संसार का धन सौंप दूं तो धन के अभाव में संसार नहीं चल सकता। इसलिए तुम कोई और वरदान मांग लो।
फिलिपकार्ड से खरीदारी करें:-click
लालच का फल - फल लालच का हिंदी में कहानी
तब धनीलाल कहने लगा कि, हे भगवान मुझे यह वरदान दे की जहां तक की भूमि को मैं देख सकूं वहां तक की सारी भूमि मेरी हो जाए। भगवान ने कहा ठीक है । मैं तुम्हें यह वरदान देता हूं। यह कहकर नारायण अंतर्ध्यान हो गए । धनीलाल में सोचा कि यदि मैं इस सारे संसार की भूमि को जल्दी से जल्दी देख लू तो यह सारी भूमि मेरी हो जाएगी। फिर क्या था, धनी लाल अधिक से अधिक भूमि को देखने के लिए चारों तरफ भागने लगा और इतना भागा की भागते -भागते वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।अंत मे धनी लाल के पास केवल उतनी ही भूमि थी जितनी भूमि में धनी लाल का मृत शरीर पड़ा हुआ था।
इस कहानी की शिक्षाएं:-
दोस्तों हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन में ज्यादा लालच नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ज्यादा लालच का फल लाभकारी नहीं होता। हमारे पास जितना भी है ,उसी में खुश रहना चाहिए। सदैव श्री राम जी का धन्यवाद करना चाहिए।
### Motivation In Hindi-MotivationInHindi-motivationinhindi10 ###
0 टिप्पणियाँ