Oont Our Siyaar Ki Kahani - ऊंट और सियार की कहानी हिंदी। Camel and Jackal's Story In Hindi।Motivation In Hindi।motivationinhindi10 ।
एक जंगल था। उस जंगल में एक ऊंट रहता था। उसी जंगल में एक सियार रहता था। सियार बड़ा ही चालाक था ।ऊंट बड़ा ही मस्त प्रकृति के का था। ऊट जंगल की अच्छी-अच्छी हरी हरी घास खाकर मस्ती से रहता था ।और रोज शाम सुबह गाना गाया करता था ।ऊंट को सुखी और हरी घास खाने में बड़ा मजा आता था। वह ऐसी ही सूखी ब हरी घास खाकर आनंद से रहता था।
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सियार बहुत चालाक था। उसका मन हरी घास खाने में नहीं लगता था। कुछ दिन तक तो उसने हरी घास खाई फिर उसका मन हरी घास खाने में नहीं लगा और वह नदी की तरफ निकल पड़ा। जब वह नदी की तरफ जा रहा था तो उसकी नजर नदी की दूसरी तरफ किसान के डंगरे के खेत में पड़ी खेत में बड़े-बड़े और पके डगरे लगे थे ।सियार का मन डंगरे खाने को बहुत हुआ परंतु वह क्या करता नदी बीच में थी। सियार नदी पार नहीं कर सकता था । इसलिए उसने सोचा कि अगर कोई हमारे साथ मिल जाए तो हमें नदी पार करके डंगरी खाने जा सकते हैं।
Oont Our Siyaar Ki Kahani - ऊंट और सियार की कहानी हिंदी। Camel and Jackal's Story In Hindi।Motivation In Hindi।motivationinhindi10 ।
सियार ने सोचा कि अगर हम ऊट से दोस्ती कर ले तो यह हमें नदी पार करके डंगरे के खेत में ले जाएगा जिससे हम खूब डंगरे खा सकेंगे । फिर क्या था दूसरे दिन सियार ऊट के पास आया और बोला और भाई कैसे हो। ऊंट उसने कहा, बढ़िया हूं ।तुम कैसे हो। सियार ने कहा की भाई हूं तो अच्छा पर हरी और सूखी घास खाते खाते मन थक गया है। अब हम से सुखी और हरी घास नहीं खाई जाती। ऊंट ने कहा, तो क्या करें भाई हमें यह हरी घास की खानी पडती हैं। हम तो यह हरी घास खाकर और सूखी घास खाकर ही रहना पड़ता हैं।
सियार ने ऊंट से कहा यदि तुम मेरी बात मानो तो हम पके डंगरे खाने चल सकते हैं। हमें हरी घास खाने से छुटकारा मिल सकता है। ऊंट ने कहा, हां यार हम तुम्हारी बात मानेंगे हमें कहां चलना है। बताओ जल्दी, सियार ने कहा ,कि देखो ऊट भाई रास्ते में एक नदी पड़ती है और मैं उस नदी को पार नहीं कर सकता इसलिए मैं तुम्हारे पास आया हूँ। तुम यदि मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार कर आओगे तो हम तुम्हें उस डंगरे के खेत का पता बता देंगे। ऊंट ने कहा, ठीक है। हम तुम्हें अपनी पीठ पर बैठा कर नदी पार करा देंगे।
सियार ने ऊट से कहा शाम को नदी के किनारे वटवृक्ष के नीचे आ जाना हम वहीं से आधी रात को नदी पार करेंगे। ऊट ने कहा ठीक है मैं आ जाऊंगा। शाम होते ही ऊट नदी के किनारे वटवृक्ष के नीचे पहुंच गया वही उसे सियार मिल गया। आधी रात को ऊंट ने सियार को अपनी पीठ पर बैठाया और नदी पार करके किसान के खेत में डंगरे खाने पहुंच गए। ऊंट ने कहा देखो भाई यदि तुम्हारा पेट भर जाए तो तुम आवाज नहीं करना जब हम दोनों का पेट भर जाए तभी हम यहां से नदी पार करके अपने अपने घर चले जाएंगे। सियार ने कहा की है।
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सियार का पेट छोटा होता है। उसने दो-तीन डंगरे खाये ओर सियार का पेट भर गया। इसलिए सियार ने सोचा कि अब हम हुआ - हुआ करेंगे ।सियार ने हुआ हुआ कहा तो ऊट ने कहा देखो भाई सियार अभी हमारा पेट नहीं भरा तुम जरा रुको अभी हुआ हुआ नहीं करो। सियार कहां मानने वाला था। वह जोर-जोर से और हुआ - हुआ करने लगा। आवाज सुनते ही किसान की आंख खुल गई। किसान ने खेत में ऊट को देखकर बहुत क्रोधित हुआ और उसने लाठी उठाकर ऊंट को बहुत पीटा। ऊंट भागता हुआ नदी के किनारे आया तो वहां से सियार मिला।
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सियार ने ऊटसे कहा रुको भाई हमें भी साथ चलना है। ऊंट ने कुछ नहीं कहा ।जब से सियार ऊंट की पीठ पर बैठ गया तो उठ नदी पार करने के लिए चल पड़ा । ऊट ने बीच नदी में पहुंचकर सियार से कहा, सियार भाई हमें तो लौटने की इच्छा हो रही बहुत दिन से नहाया नहीं है इसलिए हम इस बीच नदी में नहाना चाहते हैं।पानी मे लोटपोट करना चाहते हैं। सियार ने कहा रुको भाई हमें नदी के उस पार छोड़ आओ । फिर तुम वापस आकर नदी मैं लोट लेना ,नहा लेना । ऊंट ने कहा, यदि तुम हमारा कहना मान जाते और हुआ - हुआ नहीं करते तो मैं भी तुम्हारा कहना भी मान जाता। ऊट ने कहा ,यदि तुम हमारा कहना मान जाते तो हमारी पिटाई नहीं होती। इसलिए अब हम तुम्हारी बात नहीं मानेंगे । इतना कहते हुए ऊंट ने पानी में लोटना शुरू किया। सियार पानी की बीच धार में बह गया। ऊट नदी से बाहर निकल आया।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने दोस्तों के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए। अगर आपको हमारी यह कहानी अच्छी लगी हो तो आप इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम टि्वटर पर शेयर कर सकते हैं। धन्यवाद।
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