सच्ची भक्त और भगवान की कहानी- Bhakt Our Bhagwan Ki Kahani Hindi Me सच्चे भक्त और भगवान की भक्ति। MotivationInHindi. Motivation in hindi- motivationinhindi10 .
एक गांव में एक चरवाहा रहता था। उसका नाम राम बोला था। वह रोज नदी किनारे गाय चराने जाता था। वहाँ पास में भगवान श्री राम का मंदिर था। उस मंदिर में रोज पुजारी पूजा करने आते थे।
एक दिन पुजारी जी के मन में आया कि क्यों ना हम तीरथ करने के लिए जाये । इसलिए उन्होंने तीरथ करने की योजना बनाई। जब वह तीरथ करने जा रहे थे। तो उन्होंने रामबोला से कहा कि हम आपको 20 किलो आटा और दाल दे रहे हैं। तुम भगवान को रोज भोग लगा देना। रामबोला ने कहा ठीक है, पुजारी जी आज से हम भगवान की सेवा करेंगे ।जब तक आप नहीं आओगे तब तक हम भगवान को भोग लगाएंगे। पुजारी जी राम बोला को मंदिर का कार्यभार सौंप कर तीरथ के लिए निकल गए।
रामबोला रोज गाँव की गायों को चराता ओर शाम को गायों को गांव में करके वापिस मंदिर मे आ जाता था । मंदिर में जाकर रोज़ दाल बाटीयांं बनाकर भगवान से कहता है कि, भोजन करो भगवान। जल्दी भोजन करें। भगवान नहीं आते हैं ।तो राम बोला फिर कहता हैं कि आओ भगवान भोग लगाओ, जल्दी भोजन करो। फिर भी भगवान नहीं आते हैं।
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रामबोला ने फिर कहा कि, देखो भगवान अगर तुम्हें हमारी शर्म लग रही है तो हम मुख पीछे कर लेते हैं। तुम जल्दी आओ और मेरी बनी दाल बाटीया खा लो प्रभु।
इस प्रकार रामबोला को लगभग दो तीन पहर गुजर जाने के बाद भी भगवान उसके बुलाने पर नहीं आए और उसकी बनी हुई दाल बाटीया नहीं खाई । फिर रामबोला ने कहा कि देखो हमारे पास एक गाय भगाने और चराने की लाठी है। अगर अब भोजन नहीं किया तो हम लाठी से पीटेगे । भगवान ने सोचा कि रामबोला तो बिल्कुल मन का सच्चा है ।इसका मन में कोई मेल नहीं है। यह आत्मा और मन से बिल्कुल पवित्र है। इसलिए अगर मैं नहीं गया तो यह सच में हमसे रूठ जाएगा । इसलिए भगवान ने सोचा कि चलो हम रामबोला की बनी दाल बटीयां खा कर आये।
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तब भगवान आए और रामबोला की बनी दाल बाटीया खा कर चले गए। रामबोला रोज दाल बाटीया बनाता था और भगवान रोज दाल बाटिया खाकर चले जाते थे।
जब पुजारी जी तीरथ करके घर वापस आए तो वह अगले दिन मंदिर में पूजा करने के लिए गए। तो रामबोला से पूछा कि आपने भगवान को भोग लगाया। राम बोला कहने लगा मैंने रोज भगवान को दाल बाटीया खिलायी। मैं बनाता था और भगवान खाते थे।
पुजारी को बड़ा आश्चर्य हुआ और सोचने लगे कि मेरी तो सारी उम्र पूजा करते निकल गई लेकिन मुझे भगवान ने दर्शन तक नहीं दिये। रामबोला तुम बड़े भाग्यवान हो कि केवल दो 5 दिन ही हमने आपको पूजा के लिए कहा था। भोग लगाने के लिए कहा था ।उतने मैं तुम्हें भगवान की दर्शन हो गए। तुम्हारे बनाए हाथों की दाल बाटीया है भगवान खा गए है ।धन्य हो। रामबोला आप धन्य हो ।यह कहकर पुजारी की आंखों में आंसू आ गए ।और वह भगवान को बार-बार माथा टेकने जाना।
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि भगवान को पाने के लिए हमें अपने मन को स्वच्छ निर्मल बनाना पड़ता है। अगर हमारा मन स्वच्छ और निर्मल है तो हमें भगवान सहज ही प्राप्त हो सकते हैं ।यदि हमारे मन में कोई खोट है तो हम लाख पूजा पाठ कर कर भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इसलिए हमें अपने मन को शुद्ध करना ही बड़ा धर्म है।
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