नमस्कार दोस्तों आज हम "बीरबल की चाय की कहानी - Beerbal Ki Chay Ki Kahani In Hindi । Akber And Birbal story in Hindi।" के बारे में पड़ेंगे और जानेंगे कि कैसे बीरबल ने इस कहानी " Beerbal Ki Chay Ki Kahani In Hindi । Akber And Birbal story in Hindi ,बीरबल की चाय की कहानी " मैं बीरबल ने राजा अकबर को क्या समझाने की कोशिश की।
Beerbal Ki Chay Ki Kahani In Hindi । Akber And Birbal story in Hindi ,बीरबल की चाय की कहानी
एक दिन राजा अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा, बीरबल जो कोई भी आदमी इस जाड़े के मौसम में उस तालाब में रात भर खड़ा रहेगा । उस आदमी को हम उसे एक लाख स्वर्ण मुद्राएं देंगे और अकबर कहने लगे कि, बीरबल नगर में इसकी सभी को खबर दी जाए। बीरबल ने कहा ठीक है महाराज! हम सारे नगर में मुनादी करवा देते हैं कि, जो कोई भी शख्स इस जाड़े के मौसम में तालाब के पानी में रात भर खड़ा रहेगा। उसे महाराज एक लाख स्वर्ण मुद्राएं देंगे।
बीरबल ने सारे नगर में मुनादी करवा दी कि जो भी आदमी इस जाड़े में, तालाब के पानी में, रात भर खड़ा रहेगा उस आदमी को महाराज एक लाख स्वर्ण मुद्राएं देंगे। सभी नगर वालों ने यह मुनादी सुनी परंतु कोई भी नगर वाला आदमी इस बीत के लिए तैयार नहीं हुआ। नगर के सभी आदमी संकोच कर रहे थे , कि इतनी ठंड में तालाब के पानी में कौन खड़ा रहेगा । तालाब का पानी तो और ठंडा होगा।
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बीरबल की चाय की कहानी - Beerbal Ki Chay Ki Kahani In Hindi । Akber And Birbal story in Hindi
उनमें से एक आदमी रात भर तालाब के पानी में खड़ा रहने के लिए तैयार हो गया ।उस आदमी का नाम हीरा था। बीरबल, हीरा को लेकर राजा अकबर के पास पहुंचे और कहने लगे। महाराज, यह है वह शख्स जो रात भर इस जाड़े में तालाब के पानी में खड़ा रहेगा ।अकबर ने उस आदमी से कहा ,तुम्हें सारी बात बीरबल ने समझा दी होगी। हीरा ने कहा, हां महाराज, बीरबल ने सब कुछ बता दिया है।
दूसरे दिन की शाम होते ही उस आदमी को तालाब के पानी में खड़ा कर दिया । तालाब के चारों ओर राजा ने अपने सैनिक लगा दिए कि कहीं वह आदमी पानी से निकलकर बाहर रात भर ना बैठा रहे। उस आदमी जिसका नाम हीरा था ।हीरा को बहुत ठंड लग रही थी। ठंड से हीरा ठिठुर रहा था फिर उसे राजा के महल का एक दीपक जलता हुआ दिखाई दिया। हीरा उस दीपक के सहारे रात भर तालाब के पानी में खड़ा रहा।
सुबह होते ही सैनिक हीरा को राजा के दरबार में ले गए। अकबर ने हीरा से पूछा, तुम रात भर पानी में कैसे खड़े रहे ।तुम्हें ठंड क्यों नहीं लगी। हीरा ने कहा ,महाराज हमें ठंड बहुत लगी। हम ठंड के मारे ठुठर रहे थे तभी आपके महल का एक दीपक जलता हुआ दिखाई दिया। हम उसके सहारे रात भर तालाब में खड़े रहे।
अकबर हंसने लगे और कहने लगे तो आपको इनाम नहीं दिया जाएगा।हीरा ने पूछा, क्यों महाराज ,तब अकबर कहने लगे कि तुम हमारे महल में जल रहे दीपक के सहारे खड़े रहे। इसलिए तुम्हें इनाम की राशि नहीं मिलेगी। हीरा उदास होते हुई अपने घर को लौट आया। राजा अकबर की यह बात बीरबल को अच्छी नहीं लगी । बीरबल ने हीरा को उसका इनाम दिलाने के लिए एक योजना बनाई।
कुछ दिनों बाद अकबर ने बीरबल को किसी जरूरी काम के लिए बुलाया। सैनिक जब बीरबल को बुलाने के लिए घर गए तो बीरबल ने उन सैनिकों से कहा कि राजा से कह देना कि, बीरबल अभी चाय बना रहे। जब चाय बन जाएगी तो मे चाय पीकर खुद आ जाउगा। सैनिक राजा के पास पहुंचे और बीरबल की कही सारी बात राजा को बता दी। अकबर ने सोचा की थोड़ी देर बाद बीरबल आ जाएंगे। एक डेढ़ घंटा हो चुका था। बीरबल अब तक नहीं आए थे । राजा अकबर ने सैनिकों को फिर बीरबल के पास भेजा। बीरबल ने उन सैनिकों से फिर कहा कि जाओ महाराज से कहना कि बीरबल अभी चाय बना रहे हैं । चाय बन जाएगी तब पीकर मैं खुद आ जाऊंगा।
सैनिक वापस आए और राजा अकबर को फिर वही बात बताई। अकबर ने सोचा कि बीरबल ऐसी कैसी चाय बना रहे हैं कि चार-पांच घंटे बीत जाने के बाद भी चाय नहीं बनी। अकबर ने सैनिकों से कहा, चलो हम खुद स्वयं देखने चलेंगे कि बीरबल ऐसी कैसी चाय बना रहे है। अकबर जब बीरबल के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि नीचे आग जल रही है। आग की बगल में एक बांस का डंडा गड़ा हुआ है उस डंडे के ऊपर चाय की डेगची बंधी हुई है ।अकबर ने , बीरबल से पूछा, की बताओ बीरबल आग तुम कहीं जला रहे हो और चाय की डेगची कहीं आग के कितने ऊपर बांस के डंडे पर लटकी हुई है तो चाय कैसे बनेगी ।
बीरबल ने, अकबर से कहा की महाराज, जब हीरा तालाब के पानी में दीपक की रोशनी के सहारे खड़े रह सकता है तो यह चाय आग से इतने दूर होते हुए भी क्यों नहीं उबल सकती है। क्यों नहीं बन सकती है। अकबर समझ गए कि हमने हीरा को उसका इनाम नहीं दिया ।इसलिए बीरबल यह सब कर रहे। अकबर ने हीरा को बुलाया और हीरा को उसके इनाम की एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दी ।इस प्रकार बीरबल ने हीरा को एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दिलवा दी।
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