तनक रही थोड़ी रही,
बीती जात रात।
चरित्र भंग ना होइयो,
नई तो लग जाएगो दाग।
******तनक रही थोड़ी रही – Inspirational Story for King in Hindi *******
प्राचीन समय में एक नगर में एक राजा रहता था। वह राजा अपनी राजकाज में व्यस्त रहता था। उसकी एक रानी , एक बेटा और एक जवान बेटी थी। उस राजा का एक साधु गुरु था । राजा जब भी मुश्किल या दुविधा में होता था तो वह गुरु के पास जाकर उनका मार्गदर्शन कर करता था। एक दिन राजा अपने सभी मंत्रियों और गुरु के साथ राज दरबार में बैठा था। तभी उनमें से एक सभासद उठकर बोला कि महाराज अपने नगर में राग रागिनी पधारे हुए हैं जो बहुत अच्छा गाते हैं और नाचते भी है। महाराज अगर आपकी आज्ञा हो तो उन्हें अगले ही दिन सभा में नाचने और गाने के लिए बुलाया जाए। महाराज ने कहा ठीक है अगर वह अच्छा गाते और नाचते हैं तो अगले ही दिन उन्हें सभा में उपस्थित होने और नाचने गाने के लिए कह दो। अगले ही दिन राग रागिनी ओं का नाच और गाना देखने के लिए महाराज, गुरु और मंत्रियों के साथ सभी प्रजा जन उपस्थित हुए। साथ में महाराज की रानी , एक बेटा और एक जवान बेटी भी नाच गाना देखने के लिए सभा में उपस्थित हुए। महाराज ने मुद्राएं मंगवाई और गुरु, सभी मंत्रियों, बेटा, रानी और जवान बेटी को दी ताकि उन्हें जब भी नाच गाना अच्छा लगे तो वह मुद्राएं उन्हें राग रागिनी यों को दे सकें। राग रागिनी यों को रात्रि के दोपहर बीत चुके नाचते और गाते किसी ने भी उन्हें उपहार स्वरूप मुद्राएं नहीं दी। इसी प्रकार रात्रि का तीसरा पहर भी बीत चुका। तो जो राग रागिनी ढोल नगाड़े बजा रहे थे। उन्होंने सोचा कि अभी तक कुछ उपहार भी नहीं मिला और रात्रि पूरी बीती जा रही है इसलिए वह ढोल नगाड़े थोड़े धीरे से बजाने लगे। यह सब नाचने वाली रागनी समझ गई और उसने कहाः
तनक रही थोड़ी रही,
बीती जात रात।
चरित्र भंग ना होइयो,
नई तो लग जाएगो दाग।
यह सब सुनकर गुरु जी ने सबसे पहले अपना उपहार दे दिया इसके बाद उसकी बेटी, बेटा और पत्नी ने उन्हें उपहार स्वरूप मुद्राएं दी।
राजा ने सबसे पहले गुरु जी से पूछा गुरु जी आपने रात भर से नाच रहे राग रागिनी को पहले तो कुछ नहीं दिया और आपने ऐसा इस पंक्ति में क्या समझा कि उसे एक नहीं दो नहीं सारी की सारी मुद्राएं उसे उपहार स्वरूप दे दी।
गुरुजी बोले महाराज आज इस रागिनी ने मेरी आंखें खोल दी। मैं अपने आप के लिए ज्ञानी समझता था परंतु हमसे ज्यादा ज्ञानी तो यह रागिनी है जिसने मुझे यह पंक्ति सुना कर मेरी आंखें खोल दी।
महाराज इस रागिनी ने कहा तनक रही थोड़ी रही तो मैंने समझा कि मेरी जिंदगी आधे से ज्यादा तो बीत गई अब थोड़ी सी बची है क्यों ना इसे नाच गाने में ना लगाकर प्रभु के चरणों में ध्यान लगाएं और जिससे अपना बेड़ा पार हो सके। भगवान श्री राम जी के चरण कमलों में बस सके।
महाराज ने बेटी से पूछा बेटी तूने इन राग रागिनी यों को क्यों सारी की सारी मुद्राएं दे दी।
बेटी ने कहा महाराज आपको तो मेरी शादी की कोई चिंता ही नहीं है। अरे शादी की तो कोई उम्र होती है और आप तो मेरी शादी करवाते ही नहीं है। इसलिए मैं जो द्वार पर खड़ा हष्ट पुष्ट व्यक्ति के साथ में आज रात भागने वाली थी लेकिन इस ने कहा कि चरित्र भंग ना हुई हो नहीं तो लग जाएगो दाग तो मैं समझ गई कि पिताजी आज नहीं तो कल हमारी शादी करवा ही देंगे।
इसीलिए मैंने सारी मुद्राएं इन राग रागिनी को दे दी।
महाराज ने बेटा से पूछा बेटे तुमने क्यों इन राग रागिनी कुछ सारी की सारी मुद्राएं दे दी बेटा ने कहाः
महाराज आपको तो लगता ही नहीं है कि आपका एक बेटा है और उसे भी राजा बनने का शौक है । लेकिन आप तो मुझे राजा बनाती ही नहीं है। इसलिए मैं आज रात तुम्हें मार कर खुद ही राजा बनना चाहता था ।लेकिन रागिनी कहा कि चरित्र भंग ना होइयो नई लग जाएगा दाग।
तो मैंने सोचा कि पिताजी आज नहीं तो कल मुझे राजा बना ही देंगे क्योंकि पिताजी तो बूढ़े हो चले हैं।
यह सब सुनकर राजा ने सोचा कि मेरी भी तो जिंदगी थोड़ी सी बची है मैं क्यों ना इसे प्रभु के चरणों में लगाऊं।
राजा ने एक फूलों की जयमाला मंगवाई और बेटी से कहा बेटी तुम्हें इन सभासदों में जो भी पसंद है उसे जय माला पहना कर अपना पति चुन लो।
राजा ने अपनी बेटी की शादी करवा कर और अपने बेटे का राज तिलक कर कर वह साधु के साथ जंगल में भगवान श्री राम जी के चरण कमलों में ध्यान लगाने के लिए चल पड़े।
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