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Motivation In Hindi Stories; 5 Hindi Motivational Stories In Hindi; हिंदी में प्रेरणादायक कहानियां ।

Motivation In Hindi Stories; 5 Hindi Motivational Stories In Hindi; हिंदी में प्रेरणादायक कहानियां ।



दोस्तों , कभी-कभी हमारे जीवन में ऐसी कठिन परिस्थितियां आती है की हम उन परिस्थितियों केे भंवर में फसे हुई महसूस करनेे लगतेे ऐसे मेंं हमें कठिन परिस्थितियों सेे निकलने के लिए प्रेरणायें (Motivation In Hindi Stories; 5 Hindi Motivational Stories In Hindi; हिंदी में प्रेरणादायक कहानियां) की जरूरत होती है।



दोस्तों, आशा करता हूं की ये प्रेरणादायक कहानियां ( Inspirational Story In Hindi ) आपके जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेंगी।

Motivation In Hindi Stories; 5 Hindi Motivational Stories In Hindi; हिंदी में प्रेरणादायक कहानियां ।


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चमकदार हल्के बेगनी रंग के पत्थर का मूल्य





प्राचीन समय में एक गांव में एक साधु बाबा आए। साधु बाबा को गांव वालों ने प्रणाम किया और उन्हें कुछ दिनो तक गांव में रुक जाने को कहा। साधु बाबा गांव वालों की बात मानकर कुछ दिनो तक उसी गांव में रहने का फैसला किया । साधु बाबा उसी गांव के एक पीपल के वृक्ष के नीचे रहने लगे। साधु बाबा बहुत ज्ञानी थे।




उस गांव के बहुत से दुखी, परेशान औंर गरीब लोग साधु बाबा की कृपा पाने के लिए उनके पास आने लगे। एक ऐसा ही परेशान व्यक्ति साधु बाबा के पास आया। व्यक्ति ने साधु बाबा को प्रणाम किया और कहने लगा, बाबा, मैं बहुत दुखी और परेशान औंर गरीब हूं । मेरे पास धन ही नहीं नहीं है और मेने दूसरों से धन उधार लिया था उसे भी चुकाना है औंर व्यक्ति साधु बाबा से कहने लगा कि , बाबा मैं बहुत थक चुका हूं, परेशान हो गया हूं । कृपा करके मुझ पर कुछ उपकार करें साधु बाबा।



साधु बाबा मुस्कुराए और फिर उस व्यक्ति को एक हल्के बैगनी रंग का पत्थर दीया औंर बाबा ने उस व्यक्ति से कहा, यह एक मूल्यवान पत्थर हैं।इस पत्थर को तुम जितने मे बेच सकते हो , बेच देना। वह व्यक्ति साधु बाबा को प्रणाम करके वहां से चला गया। व्यक्ति ने उस हल्के बैगनी रंग के पत्थर की कीमत जानने के लिए सबसे पहले गांव वाले हलवाई के पास गया। हलवाई ने उस हल्के बैगनी रंग के पत्थर को देखा और कहने लगा बैगनी रंग के शीशे की तरह दिखाई देता हैं। साधु बाबा ने तुम्हें ऐसे ही दे दिया है , पर यह जरूर है कि यह चमकदार और सुंदर दिखाई दे रहा है इसलिए मैं इसको पांच स्वर्ण मुद्राओं में खरीद लूंगा।



व्यक्ति वहां से निराश होकर गांव की एक सुनार के पास गया और सुनार से हल्के बेगनी रंग के पत्थर की बेचने के लिए उसकी कीमत जाननी चाही। सुनार ने उस हल्के बैगनी रंग के पत्थर को देखा और उसकी कीमत पांच सौ स्वर्ण मुद्राएं बतायी। कहने लगा मे इसकी मूल्य पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा।


व्यक्ति ने सोचा इसका मूल्य और ज्यादा हो सकता है इसलिए वह वहां से चलकर राजा के पास गया। राजा को हल्के बैगनी रंग का पत्थर दिखाया और इसकी बेचने की कीमत जाननी चाही । राजा ने , अपने नगर के पत्थर (हीरा, मोती )की पहचान करने वाले सुनार को बुलवाया और उसकी कीमत बताने को कहा, सुनार ने उस हल्के बैगनी रंग के पत्थर को देखा । देख कर हैरान हो गया। आंखें उसकी खुली की खुली रह गई ।राजा ने उस सुनार से पूछा कि, बताओ इसकी कीमत क्या होगी। सुनार ने कहा, महाराज इसका मूल्य इतना है कि यदि आपका सारा राजपाट इसके बदले दे दिया जाए तब भी वह कम ही होगा।





दोस्तों हमें इस काहानी से शिक्षा मिलती है कि, हम अपने जीवन को कैसे देखते(आंकते) हैं। हम क्या वह हैं जो, दूसरे हमारे बारे में राय बनाते हैं। आपकी जिंदगी अनमोल है इसका कोई मोल नहीं लगा सकता। आप वो सब कर सकते हैं , जो आप अपने बारे में सोचते हैं। याद रखें कभी भी दूसरों की नेगेटिव कमेंट से अपने आप को निराश नहीं होने देना। मित्रों आशा करता हूं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी यदि पसंद आई हो तो प्लीज इसे ज्यादा ज्यादा शेयर करें! धन्यवाद।


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     चार दीयों की कहानी



शाम का समय था। कुछ देर बाद अंधेरा होने वाला था। इसलिए रामू ने अपने घर में चार दीये जलाए और बिस्तर बिछा कर लेट गया। रामू एक छोटा सा बालक था इसलिए उसको नींद जल्दी आ गई और वह सो गया।



रामू को सोता देख चारों दीये आपस में बातें करने लगे । पहला दीया बोला, मैं विश्वास हूं, अब मुझे लगता है कि इस संसार में बेईमानी, धोखा, और झूठ बढ़ता ही जा रहा है। जिससे मेरा वजूद कम होता जा रहा है। इसलिए अब मैं यहां नहीं रहना चाहता। यह कहकर , पहला दीया बुझ गया।




विश्वास को जाता देख, दूसरा दीया भी अपने मन की बात कहने लगा, मैं प्रेम हूं, प्राचीन समय से ही में सभी को प्रेम का मार्ग दिखाता आ रहा हूं। पर अब तो लगता है कि, मेरा स्थान नफरत और स्वार्थ का भाव लेता जा रहा है। मनुष्यो के हृदय में अपनों के प्रति भी प्रेम भावना नहीं बची। अब तो यह सब सहना मेरे बस में नहीं रहा इसलिए अब मैं भी यहां से जा रहा हूं। यह कहकर दूसरा दीया भी बुझ गया।






यह सब देख और सुन कर तीसरा दिया भी अपने अंतर्मन की बात कहने लगा। मैं शांति हूं, पहले के मनुष्यों में दया और शांति की भावना थी पर अब तो जहां भी देखता हूं वहां पर लूटपाट ,आपाधापी और हिंसा का बोलबाला नजर आता है । मानो अब तो शांति का स्थान हिंसा ने ले लिया हो। वैसे भी विश्वास और प्रेम दोनों ही चले गए हैं। इसलिए अब जहां विश्वास नहीं वहां प्रेम भी नहीं हो सकता और जहां प्रेम नहीं वहां शांति कैसे रह सकता है । इसलिए मैं भी अब यहां से जा रहा हूं।  यह कहकर तीसरा दीया भी बुझ गया।




इतने में रामू की आंख खुल गई । रामू ने देखा तो बाकी तीन दीये बुझ गए थे और एक दिया जल रहा था । यह देखकर रामू की आंखों से आंसू आने लगे। और वह दुखी मन से बोला, तुम इस तरह बीच में मेरे जीवन में अंधकार करके कैसे जा सकते हो। तुम्हें तो पूरा अंत तक जलना था ।तुमने तो मेरा साथ छोड़ दिया। मैं अब क्या करूंगा।



रामू की आंखों से आंसू टपकते देख चौथा दीया बोला, मैं आशा हूं । आशा से ही तो अब तक यह संसार चला रहा है इसलिए रामू घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूं। जब तक मैं जल रहा हूं। मेरी लो से तुम उन दीयों को फिर से जला सकते हो। जो अब तक तुम्हें अंधकार में छोड़ कर चले गये हैं।




चौथे दिये की बात सुनकर रामू को अच्छा लगा। फिर रामू ने आशा की लो से, विश्वास, प्रेम और शांति को पुनः प्रकाशित कर दिया।





दोस्तों हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि, हमारे जीवन में समय एक सा नहीं रहता। कभी हमारे जीवन में उजाला रहता है तो कभी अंधकार। ऐसे में हमारा मन अशांत हो जाता है ।हमारा विश्वास, प्रेम और शांति भी हमारा साथ नहीं देती । ऐसे समय में केवल हमें आशा का ही दीया जलाना चाहिए।


मित्रों आशा करता हूं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी यदि पसंद आई हो तो प्लीज इसे ज्यादा ज्यादा शेयर करें! धन्यवाद।


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            अच्छी सोच

































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