दोस्तों आज हम अमीर और गरीब भाई की कहानी बताने वाले हैं कि कैसे गरीब और अमीर भाई की कहानी है। कहानी में अमीर भाई गरीब भाई से कैसा व्यवहार है। इस कहानी को आप फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम पर शेयर कर सकते हैं।
प्राचीन समय में एक गांव में दो भाई जिनका नाम तरण और करण रहता था। करण काफी अमीर था। उसकेके पास दौलत पैसे जमीन की कोई कमी नहीं थी ।जबकि तरण के पास ना जमीन थी ना उसके पास पैसे थे। तरण की एक पत्नी और दो बच्चे थे। तरण गांव में भीख मांग कर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। कुछ वर्षों के बाद एक समय ऐसा आया के गांव में लगातार चार साल बारिश हुई।
जिसके चलते गाँव के बालों के पास अनाज की कमी होने लगी थी, जिसके पास अनाज भी था। उन सभी के पास अपने परिवार की गुजरातियों के लिए भी अनाज कम पड़ने लगा था ।इस गाँव वाले अब किसी को भी भिक्षा भी नहीं देते थे।
ये पोस्ट भी पढें
लेकिन तरण के बड़े भाई करन पर सूखा का कोई असर नहीं था। उसके पास धन दौलत और ढेर सारा अनाज था। उसकेकी जिंदगी बड़ी अच्छी मौज मस्ती में कट रही थी और उसके छोटे भाई तरण, जीवन बड़ी मुश्किल और भूखे ही कट रही थी। तरण, पत्नी ओर उसके बच्चे कभी-कभी तो केवल पानी ही पीकर भूके सो जाते थे।
ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा है ।जब भी तरण अपने गांव में या दूसरे गांव में भिक्षा मांगने जाता है तो उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ता था। तरण को अपने गाँव या दूसरे गाँव मैं जाने पर कोई भी भिक्षा नहीं देता था।
क्योंकि सूखे के कारण अब किसी के पास इतना अनाज नहीं था कि वह
तरण को भिक्षा दे संभव।
यह वीडियो देखें:-
पी एम किसान सम्मान निधि स्टेटस कैसे चेक करें वीडियो देखें:- click
फेसबुक अकाउंट हमेशा के लिए डिलीट कैसे करें वीडियो :- देखेंclick
कुछ समय बाद दीपावली का त्यौहार आया। करण के घर तरह-तरह के चावल और चावल पकने लगे। उस दिन तरण ने 5 गांव में भिक्षा मागी लेकिन किसी ने भी तरण को एक मुट्ठी चावल भी नहीं मिला, अनाज नहीं मिला। जब तारण घर लौट कर आ रहे थे तो उनकी पत्नी और उनके बच्चे भूख से तड़प रहे थे। तरण की पत्नी ने पूछा, कि आज कुछ भिक्षा में मिला है ।तरण ने कहा, नहीं आज दीपावली के दिन भी नहीं मिला। तरण मन में सोचने लगा कि आज हमारे बच्चे क्या खाएंगे। तरण की पत्नी ने तरण से कहा, कि आप अपने बड़े भाई करन के पास क्यों नहीं जाते हैं, उनके पास काफी धनराशि है।] हो सकता है की आपको कुछ चावल दे जिससे की हम आज दीपावली के दिन रोटी और चावल बना सके। तो हमारे बच्चे दीपावली के दिन भूके ना सोए। तरण अपनी पत्नी से कहने लगा की, तुम्हें तो पता है कि मेरा भाई करन मुझे बहुत नफरत करता है। बात भी नहीं करती और ना कभी मेरे को कभी पूछा कि कैसे हो। वह तो मुझे दूर से ही देख कर मेरी हंसी करता है।
तो आप ही बताते हैं कि मैं वहां कैसे जाऊं।
तब तरण की पत्नी ने तरण से कहा की हो सकती है आज दीपावली के दिन तुम्हारे भाई करन को तुम पर दया आ जाए और तुम कुछ अनाज और चावल दे दो। तरण अपनी पत्नी की बात मानकर अपने भाई करण के घर गया।
तो तरण का भाई करण, तरण को घर आते देख कर हंसने लगा और कहने लगा कि देखो आज तो ये भिकमगा ना जाने क्यों मेरे घर आ गए और तरह-तरह की बातें करने लगे। तरण अपने भाई की करन के पास जाकर कहा कि भाई आज दीपावली का त्यौहार है और मेरे घर खाने को अनाज का एक दाना भी नहीं हैं। कृपा करके आप मुझे २ किलो चावल चावल दें दे दो। जिससे कि मेरे बच्चे दीपावली के दिन भूके ना रहे ।तब करण बोला कि, तेरे पास देने को क्या है क्या मेरे 2 किलो चावल कैसे लौटायेगा। तुझे मैं चावल दूंगा तो केवल एक शर्त पर दूंगा कि अगर आपनेअगले साल चावल नहीं लोटे तो मैं 2 किलो चावल के बदले तेरी दोनों आँखों से निकल लुंगा। अगर तुझे मेरी ये शतँ मंजूर है तो आप चावल ले जा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि अगर तूने मेरे चावल नहीं लौटाये तो मैं तेरी आंखें खिंचवा लूंगा। करन ने हां कर दी और 2 किलो चावल लेकर घर आ गया।
तरण ने घर आकर अपनी पत्नी को सारी बात बताई जिससे उसकी पत्नी सोच में पड़ गई। दीपावली की शाम सभी ने भगवान को भोग लगाया और भोजन किया और सो गए। अगले साल भी बारिश नहीं हुई। तरण ने अपने भाई करन से लिया 2 किलो चावल नहीं लोटा पाया। जब 1 साल के बाद उसका भाई करन, तरण की घर आया और उसने कहा कि तूने मेरे 2 किलो चावल नहीं बनाए। वह अपनी दोनों आंखें करन को देने के लिए तैयार हो गया है। उसकी पत्नी और बच्चे रोने लगे करन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उसने तरण को लेकर उसकी दोनों आंखें खिंचवा दी।
तरण की पत्नी और बच्ची देख कर रोने लगे लेकिन वह क्या करता उसके पास और कोई चारा नहीं था। कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए घर में और दरिद्रता और कुछ भी खाने को नहीं था। उसके बच्चे के भूखे तड़प रहे थे ।तब ही तरण ने अपनी पत्नी से कहा कि तुम मुझे हर सुबह अपने गांव की सड़क के किनारे पेड़ के नीचे पेड़ की मांग मांगने के लिए कहो। बैठा आना और शाम को मुझे वापस घर ले आना ।जिससे कि हमें भिक्षा मे जो कुछ मिलेगा उससे हम घर पर चावल ला सकते हैं। यह बात उसकी पत्नी को अच्छी नहीं लगी, लेकिन उसने रोते-रोते हां कह दी। तरण की पत्नी हर रोज सुबह अपने पति को सड़क किनारे पेड़ के नीचे बैठा आती है और शाम को तरण को घर लेने के लिए आती थी। भिक्षा में जो कुछ मिलता है उससे उनका घर चलता है।
फ्लिपकार्ट से खरीदारी:- click
एक दिन की बात कि उसकी पत्नी उसे सड़क किनारे भिक्षा मांगने के लिए बैठा आई लेकिन शाम को तेजतरि और तूफान के कारण वह अपने पति को लेने नहीं आ पाया। उसकी पत्नी पति तरण काफी लंबे समय तक बैठा रहा वह अपनी पत्नी को ना आता है। देख वह एक लकड़ी के सहारे अपने गांव की तरफ चल पड़ा। लेकिन रास्ते में काफी झाड़ियां और पेड़ होने के कारण वह आगे नहीं जा पाया। वह एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे बैठ गई और उसने सोचा की रात हम यही इस पेड़ के नीचे बिताएंगे। रात्रि के दूसरे पहर में पेड़ से कुछ भूतों की आवाज सुनाई देने लगी। उनमें से एक भूत ने कहा कि सब अपने अपने स्थान पर बैठ जाओ सरदार आने वाले।तभी एक भयानक आवाज के साथ उसका सरदार हो। उन्होंने कहा कि हां सुनाओ इस महीने आप लोगों ने क्या-क्या किया। तो इसमें से एक भूत उठा और बोला कि सरदार ने दो सैनिकों में घृणा और गुस्सा पैदा करवा दिया ।जिससे एक भाई ने दूसरे भाई की आंखें निकल ली। भूतों का सरदार वोला की वाह तुम बहुत अच्छे काम करते हो किया हुआ। अब सरदार ने दूसरी प्रतिक्रिया से कहा कि हां आप इस महीने में क्या करेंगे। तो उस दूसरे भूत ने कहा सरदार ने एक राजा की बेटी को जो पश्चिम दिशा में रहता है। उसको सीढ़ियों से गिरा दिया गया ताकि उसकी आवाज चली गई और वह गूंगी हो गई।अब उस राजकुमारी से कोई शादी नहीं करेगा ।तब सरदार बोला वाह खूब आपने बहुत अच्छा किया ।सरदार ने उन्हें क्या पता कि इस पेड़ की ओस की बूंदे भी। आंख पर लगाने से उनकी आंखें वापस आ सकती हैं और उस राजा की बेटी को इस पेड़ की जड़े पीसकर पिलाने से वह बोल सकती है। यह कहकर मैं सरदार और भूत वहा से चले गए। सुबह होते ही चिड़ियों की आवाज आती ही तरण उठा और उसने उस पेड़ की ओश की दो बूंद अपनी आंखों पर रख ली जिससे उसकी आंखें वापस आ गई ।वह खुशी से झूम उठा और वह पेड़ की जड़ लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा। जो पश्चिम दिशा में रहता है। उसको सीढ़ियों से गिरा दिया गया ताकि उसकी आवाज चली गई और वह गूंगी हो गई।अब उस राजकुमारी से कोई शादी नहीं करेगा ।तब सरदार बोला वाह आपने आपने बहुत अच्छा किया ।सरदार ने उन्हें क्या पता कि इस पेड़ की ओस की बूंदे भी। आंख पर लगाने से उनकी आंखें वापस आ सकती हैं और उस राजा की बेटी को इस पेड़ की जड़े पीसकर पिलाने से वह बोल सकती है। यह कहकर मैं सरदार और भूत वहा से चले गए। सुबह होते ही चिड़ियों की आवाज आती ही तरण उठा और उसने उस पेड़ की ओश की दो बूंद अपनी आंखों पर रख ली जिससे उसकी आंखें वापस आ गई ।वह खुशी से झूम उठा और वह पेड़ की जड़ लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा। जो पश्चिम दिशा में रहता है। उसको सीढ़ियों से गिरा दिया गया ताकि उसकी आवाज चली गई और वह गूंगी हो गई।अब उस राजकुमारी से कोई शादी नहीं करेगा ।तब सरदार बोला वाह आपने आपने बहुत अच्छा किया ।सरदार ने उन्हें क्या पता कि इस पेड़ की ओस की बूंदे भी। आंख पर लगाने से उनकी आंखें वापस आ सकती हैं और उस राजा की बेटी को इस पेड़ की जड़े पीसकर पिलाने से वह बोल सकती है। यह कहकर मैं सरदार और भूत वहा से चले गए। सुबह होते ही चिड़ियों की आवाज आती ही तरण उठा और उसने उस पेड़ की ओश की दो बूंद अपनी आंखों पर रख ली जिससे उसकी आंखें वापस आ गई ।वह खुशी से झूम उठा और वह पेड़ की जड़ लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा। आंखें वापस आ सकती हैं और उस राजा की बेटी को इस पेड़ की जड़े पीसकर पिलाने से वह बोल सकती है। यह कहकर मैं सरदार और भूत वहा से चले गए। सुबह होते ही चिड़ियों की आवाज आती ही तरण उठा और उसने उस पेड़ की ओश की दो बूंद अपनी आंखों पर रख ली जिससे उसकी आंखें वापस आ गई ।वह खुशी से झूम उठा और वह पेड़ की जड़ लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा। आंखें वापस आ सकती हैं और उस राजा की बेटी को इस पेड़ की जड़े पीसकर पिलाने से वह बोल सकती है। यह कहकर मैं सरदार और भूत वहा से चले गए। सुबह होते ही चिड़ियों की आवाज आती ही तरण उठा और उसने उस पेड़ की ओश की दो बूंद अपनी आंखों पर रख ली जिससे उसकी आंखें वापस आ गई ।वह खुशी से झूम उठा और वह पेड़ की जड़ लेकर पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा।
### मोटिवेशनिन्हिंदी, हिंदी
तरण उसी राज्य में पहुंच गया और उसने उस राजा के मंत्री से कहा, कि मैं आपकी राजकुमारी की आवाज सही कर सकता हूं। वह मंत्री राजा के पास गया और जहां की महाराज एक दरिद्र कह रहा है कि व राजकुमारी की आवाज सही कर सकती है ।बोल हो सकती है।) राजा ने यह सुनकर उसको बुलाया और कहा कि अगर तुमने मेरी राजकुमारी की आवाज ठीक कर दी। तो मैं तुम्हें अनाज, धन-संपत्ति सबकुछ दूगा। तरण पेड़ की जूट निकली और उसने उस जड़ को पीसकर राजकुमार को पिला दी ।जिससे की राजकुमारी बोलने लगी। यह देखकर राजा बहुत खुश हुआ और उसने तरण को धन, दौलत, अनाज, घोड़े हाथी यहाँ तक कि उसने अपना आधा राजपाट दे दिया।
यह सब बात तरण ने घर आकर अपनी पत्नी को बताई जिससे वह खुशी हुई और खुशी-खुशी रहने लगी।
कहानी शिक्षा
दोस्तों इस कहानी से हमें शिक्षा मंत्री ने कहा है कि हमें दूसरों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। हम सभी को एक समान मानना चाहिए। और सभी का सम्मान करना चाहिए। अगर आपको हमारी यह कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीज इसे ज्यादा से ज्यादा लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब जरूर करें।
0 टिप्पणियाँ