सेठ और सेठानी की मजेदार छोटी कहानी हिंदी में- Funny short story of Seth and Sethani in Hindi
Funny short story of Seth and Sethani in Hindi
सेठ और सेठानी की मजेदार छोटी कहानी हिंदी में।
प्राचीन समय में एक गांव में सेठ और सेठानी रहते थे। सेठ बड़े ही ईमानदार और मेहनती थे। वह बंजी करने के लिए गांव-गांव जाते थे । सेठ जी को बंजी करने और पैसा कमाने मैं आनंद आता था तो दूसरी ओर सेठानी को मेलों में घूमने, फिरने, आइसक्रीम खाने और पैसा खर्च करने मैं आनंद आता था । सेठानी हमेशा सोचती थी कि कब मेला लगे और मैं मेला देखने जा सके।
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Funny short story of Seth and Sethani in Hindi
सेठ और सेठानी की मजेदार छोटी कहानी हिंदी में।
कुछ महीनों बाद सेठानी के मायके के गांव मैं एक बड़े मेले का आयोजन हुआ। सेठानी ने सोचा कि अकेले तो मैं अपने मायके नहीं जा पाऊंगी क्योंकि रास्ते में घना जंगल पड़ता है इसलिए सेठ जी को मना लेती हूं। सेठ जी बंजी करने के लिए गए थे । शाम को जब घर लौटे तो सेठानी ने उन्हें जल्दी से हाथ मुह धोने के लिए पानी भर दिया और खाना कम खाने को कहा । सेठ जी ने हाथ मुंह धोए और खाना खाने के लिए बैठ गए।
सेठानी ने जल्दी से कड़ी, भात, घी, शक्कर और साथ में बरा भी परोस दिया । (सेठ जी भोजन में कड़ी, भात, घी, शक्कर और बरा देखकर सोचने लगे कि, जरूर कोई बात है। आज तक तो सेठानी ने हमें ऐसा स्वादिष्ट भोजन कभी नहीं परोसा। चलो पहले भोजन कर लेते हैं फिर बाद पता करते हैं कि, किस लिए इन्होंने ऐसा स्वादिष्ट भोजन बनाया) सेठानी पास में बैठ कर सेठ जी को पंखा करने लगी। सेठ जी बड़े प्रसन्न होकर सेठानी से बोले, अरे भाग्यवान आज तो तुमने भोजन मैं बहुत कुछ बनाया है! कडी, भात, घी, शक्कर और तो और साथ में बरा भी बनाए क्या बात है! आज तो बड़ा ही स्वादिष्ट भोजन बनाया है।
सेठ जी ने खाना खाया और फिर खाने की बहुत तारीफ की।( सेठानी ने सोचा ,यही समय है! इनको मनाने का ) सेठानी बोली, यदि मैं आपसे कहीं चलने के लिए कहूं तो साथ चलोगे ।सेठ जी बोले हां हां क्यों नहीं, भाग्यवान मैं जरूर चलूंगा, पर तुम्हें इसी तरह का रोज भोजन बनाकर मुझे खिलाना होगा। सेठानी बोली ,हां मैं जरूर इसी तरह का भोजन आपको रोज बनाकर खिलाऊंगी । (सेठानी ने सोचा ,अब तो ये मेरी बात पक्की मान जाएंगे) सेठानी बोली, मायके के गांव में एक बड़े मेले का आयोजन हुआ है यदि आप मेले में जाओगे तो मैं भी आपके साथ चलूंगी। (सेठ जी ने सोचा कि, अब आया समझ में कि आज क्यों इतना अच्छा स्वादिष्ट भोजन बनाया) सेठ ने कहा, एक शर्त पर मैं तुम्हारे मायके चलूंगा और तुम्हें मेला दिखाने ले जाऊंगा की तुम मुझे ऐसा स्वादिष्ट भोजन रोज बनाकर खिलाओगी । सेठानी बोली, हां हां क्यों नहीं ! मैं तुम्हें इसी तरह का स्वादिष्ट भोजन रोज बनाऊंगी ।(सेठानी ने मन में सोचा, कि मेला देखकर तो आऊं फिर तुम्हें वैसी ही सूखी रोटी और अचार खिलाऊंगी ) सेठ जी ने कहा, ठीक है! हम तुम्हारे साथ मेले में चलेंगे।
अगले दिन सेठ और सेठानी मेला देखने के लिए सेठानी के मायके के गांव चल दिए। कुछ समय बाद दोनों मेले में पहुंच गए । मेले में से सेठानी ने महंगी महंगी वस्तुएं खरीदी और मेले में बिक रही मिठाईयां खाई और आइसक्रीम भी खूब खाई।
शाम को सेठ और सेठानी मेला देख कर घर वापस लौट आए। सेठ जी सेठानी से कहने लगे कि, आज बहुत थक गया हूं। जल्दी से भोजन बनाओ ।सेठानी बोली, हां हां क्यों नहीं बनाती हूं। कुछ देर बाद सेठानी ने सुबह की रखी ठंडी रोटी और अचार को रख दिया और कहा खा लो। सेठ जी सेठानी से बोले, अरे भाग्यवान तुमने तो कहा था कि मे तुम्हें रोज स्वादिष्ट भोजन बनाकर खिलाउगी, पर तुम तो पहले की तरह इस सूखी रोटी और अचार लेकर आ गई।
सेठानी बोली, हां कहा था पर तुम्हें स्वादिष्ट भोजन तभी मिलेगा जब अगला मेले मैं तुम मुझे घूमाने को ले जाओगे।
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