हम आपके लिए यह कहानी एक गरीब छात्र की सफलता की कहानी है । के माध्यम से बताएंगे कि एक छात्र अपनी बुद्धिमानी और दृढ़ निश्चय से गरीब छात्र से सफल छात्र बना। यह कहानी गरीब छात्र की सफलता की कहानी है। छात्रों को स्वच्छ और सुंदर भविष्य को दर्शाती है कि छात्र अपने मार्ग में आने वाली हर रुकावट से कैसे छुटकारा पा सकता है और उसे पार करके सफल बन सकता है। उसके लिए वैदिक छात्र ने क्या-क्या किया। उसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा आदि।
एक ग्राम में एक किसान रहता था उसका एक बेटा था। वह बहुत गरीब थी। किसान का नाम रामदास और उसके बेटे के नाम रामू था। रामदास के पास अपने बेटे को महगें और प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपने बेटे राम का नाम अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में लिखवा दिया। क्योंकि सरकारी स्कूलों में कोई फीस नहीं लगती है इसलिए उन्होंने राम का नाम सरकारी स्कूलों में लिखवा दिया। रामू पढ़ने में बहुत होशियार था। इसलिए कक्षा में शीर्ष आता है। रामू ने अपने गांव से ही कक्षा 8 की परीक्षा उत्तीर्ण की। मैं कक्षा 8 में प्रथम आया। रामू के पिता ने रामू की पढ़ाई में देखना देखते हुए उसे आगे पढ़ाना चाहा इसलिए उन्होंने गांव से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर दूसरे गांव में एक स्कूल सरकार की थी। जो कक्षा 12 तक थी। उसमें रामू का नाम लिखवा दिया। वहां से रामू ने कक्षा 12 की परीक्षा उत्तीर्ण की। रामू के पास आगे पढ़ने के लिए और पैसे नहीं थे। और उनके माता-पिता भी बूढ़े हो गए थे। इसलिए रामू ने सोचा था कि क्यों ना हम शहर जा कर कोई काम करें जिससे हमारा खर्चा तो चलता रहे। यह सोचकर रामू अपने माता पिता की आज्ञा लेकर एक शहर चला गया। और शहर में एक सेट के यहां नौकरी करने लगा।
रामू को उस सेट के यहा एक डेढ़ साल काम करते हुए हो गया था ।1 दिन की बात रामू से कुछ गलती हो गई जिसकी वजह से रामू को उसके सेठ ने बहुत डांटा और उल्टा सीधा सुनाया उसके बाद रामू को गाल थप्पड़ जड़ दिया।
सेट का उल्टा सीधा बोलना और थप्पड़ मारना रामू को बिल्कुल अच्छा नहीं लगाया गया ।इसलिए उसने उस रात मैं नाॉय और रात भर ऐसे ही बैठा रहा। उस रात मे यह सोच रही थी कि अगर मेरे पास पैसे होते हैं तो मैं क्यों सेट किया काम कर रहा हूँ। उसने मन में ठान ली कि जितने भी सेठ जी से पैसे मिलेंगे उन पैसों की केवल किताब करवा दूंगा और उन किताबों से मन लगाकर पढ़ाई करुंगा जब तक हम नौकरी ना पाले। दूसरे दिन रामू ने सेट से अपना सारा हिसाब करवाया और घर आ गया शहर से वह अपनी पढ़ाई की सब किताबें ले आया और उसने मन लगाकर रात दिन पढ़ाई की। उसकी एक डीएम का फॉर्म डाल दिया जाट 6 महीने बाद उसका डीएम का कॉल लेटर आया। और उसने एग्जाम दिया जिसमें मैं बह चुका हो गया और फिजिकल टेस्ट देकर में डीएम की ट्रेनिंग पर चला गया। प्रशिक्षण से वापस आकर उसे उसी शहर में डीएम बनाया गया।
रामू उस शहर में डीएम बना। जिस शहर में बह सेठ जी के पास नौकरी करता था ।1 दिन की बात सेठ जी को डीयम से कुछ काम आया और वह डीएम से मिलने के लिए आया। डीएम की कुर्सी पर उस लड़के को देख जो उसके यहां काम करता था ।सेठ हैरान रह गए और उसके हाथ लड़खड़ा भी लगे। यह देखकर रामू ने उस सेठ जी को बेहाया और कहा कि मैं आज जो कुछ भी हूं, आप उस थप्पड़ की आवाज से हूं। आपने हमें उस गलती पर मैं मारा था अगर आप उस दिन हमें थप्पड़ ना मारते तो हमें पढ़ने की उम्मीद न होती और हम आप के यहाँ नौकरी कर रहे होते। उस दिन का थप्पड़ से हमें लगा की हमे मन लगाकर पढ़ना चाहिए और हमने ऐसा ही किया और हम आज सफल हो गए और डीए बन गए।
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